Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF | Hariharan Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics

संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ– Sankat Mochan Hanuman Ashtak Paath Hindi

Sankat Mochan Hanuman Ashtak – हनुमान जी के भक्तों का हमारे इस पोस्ट में सादर स्वागत है, हमारे हिंदू धर्म में श्री राम जी के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी को माना जाता है, जो हनुमान जी की पूजा सच्चे मन से करता है हनुमान जी उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं और उसके आसपास से कष्ट, रोग ,भूत प्रेत आत्मा , नकारात्मक ऊजा को सदा दूर रखते हैं, हनुमान जी की भक्ति के लिए हनुमान चालीसा , बजरंग बाण और संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ किया जाता है इन सभी पाठ और भजन को हनुमान जी के परम भक्त गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा 16वीं शताब्दी में लिखा गया था,

हिंदू शास्त्र में हनुमान जी को भगवान शंकर जी का अवतार माना जाता है और उन्हें देवताओं से भी असीमित शक्ति का वरदान प्राप्त है, बचपन में भगवान हनुमान जी बहुत ही नटखट हुआ करते थे, इन्हीं नटखट हरकतों के खेल में की गई शरारत से परेशान होकर भृगवंश ऋषि द्वारा उन्हें बचपन में शराब दे दिया गया था की वे अपनी सभी शक्तियों को भूल जाएंगे और किसी दूसरे के द्वारा याद दिलाने पर उन्हें अपनी शक्तियों का ज्ञान स्वतः प्राप्त हो जाएगा,

संकट मोचन हनुमान अष्टक के पाठ द्वारा हनुमानजी के भक्त उनको शक्तियों का स्मरण कराते हैं और हनुमान जी से अपनी परेशानियों को दूर करने का प्रार्थना करते हैं,

हनुमान अष्टक पाठ करने के विशेष नियम क्या है | Sankat Mochan Hanuman Ashtak Rules

Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF | Hariharan Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics
Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF | Hariharan Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics

संकट मोचन का रूप हनुमान जी को कहा जाता है, हिंदू शास्त्रों में मान्यता है कि हनुमान जी की कृपा से सभी तरह के कठिन से कठिन संकट पल भर में दूर हो जाते हैं,
बड़े-बड़े पर्वत को उठाने वाले, समुद्र लांग के लंका जाने वाले, ईश्वर का कार्य सवारने वाले संकट मोचन हनुमान जी की पूजा विधि पूर्वक करने से जीवन में सारे कष्ट स्वता ही दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का अंत हो जाता है,साथ ही मन से मांगा गया फल भी प्राप्त होता है,

हनुमान जी के पथ पर चलने वाले भक्तों को कोई भी कष्टों का सामना नहीं कर साथ ही नियमित रूप से भगवान हनुमान जी की पूजा आराधना का विशेष महत्व भी प्राप्त होता है ऐसे में संकटों और कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का अष्टक पाठ आवश्यक माना जाता है,

श्री हनुमान अष्टक का पाठ किस तरीके से करना चाहिए इसकी कोई विशेष नहीं है परंतु इस अष्टक का पाठ किसी भी समय कहीं भी किया जा सकता है यदि आपकी बहुत जल्दी इसका लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके कुछ विशेष तौर पर नियम जो हम आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे हैं.

1. श्री हनुमान अष्टक का पाठ प्रारंभ करने से पहले हनुमान जी की राम की भी फोटो रख कर बैठना चाहिए।

2. इसके बाद हनुमान जी और राम जी की तस्वीर के आगे शुद्ध देसी घी के दिए जलाना चाहिए |

3. तस्वीर के सामने एक तांबे के लोटे या गिलास में जल भरकर रख आवश्यक है और इसके बाद पूरा ध्यान लगाकर श्रद्धा पूर्वक हनुमान अष्टक का पाठ शुरू करना चाहिए।

4. यदि आपने हनुमान अष्टक का पाठ अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया है तो तांबे के लोटे या गिलास में रखा हुआ जल स्वयं ले|

5. यदि आपने हनुमान अष्टक का पाठ किसी दूसरे के लिए किया है तो आप तांबे के लोटे या गिलास में रखा हुआ जल उसे पिला दे , ऐसा करने से कष्टों और समस्याओं से छुटकारा जल्दी प्राप्त हो जाएगा।

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Sankat Mochan Hanuman Ashtak Benefits | हनुमानाष्टक के लाभ

हनुमानाष्टक का पाठ करने के कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ हो सकते हैं। यह श्री हनुमानजी की महत्वपूर्ण भक्ति कविता है जिसमें उनकी महिमा और शक्तियों का वर्णन किया गया है। निम्नलिखित कुछ लाभ निम्नलिखित हो सकते हैं:

1. आध्यात्मिक शांति: हनुमानाष्टक का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मा की ऊर्जा, और आध्यात्मिक आकर्षण में वृद्धि हो सकती है। यह भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।

2. शक्ति और साहस: हनुमानजी को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी कृपा से पाठ करने से भक्तों को दृढ़ संकल्प और साहस मिल सकता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

3. भक्ति और समर्पण: हनुमानाष्टक का पाठ करके भक्त अपने आपको भगवान हनुमान के सेवाक के रूप में समर्पित कर सकते हैं। यह उनकी भक्ति और आदर्श भावना को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

4. रोगनिवारण: हनुमानजी को वीर और चिकित्सक का रूप माना जाता है। उनकी आराधना और आशीर्वाद से शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार हो सकता है।

5. शत्रु नाश: हनुमान जी के पाठ का अधिकांश लोग शत्रुओं और बुराइयों के प्रति सुरक्षा के लिए करते हैं। उनकी आशीर्वाद से शत्रुओं के प्रति रक्षा की भावना मजबूत हो सकती है।

6. आत्म-विकास: हनुमानजी की भक्ति और कविता का पाठ करने से व्यक्ति का आत्म-विकास हो सकता है। उनके गुणों का अनुकरण करके व्यक्ति सद्गुणों की दिशा में प्रगति कर सकता है।

7. कल्याणकारी प्रभाव: हनुमानाष्टक का पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव हो सकता है।

Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF | संकट मोचन हनुमानाष्टक

॥ हनुमान अष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


।। दोहा।।


लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
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