yantrodharaka hanuman stotra in hindi |  श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र | hanuman stotra lyrics Free Download

yantrodharaka hanuman stotra in hindi :- शादर प्रणाम प्रिय भक्तो, हनुमान स्तोत्र का पाठ भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी को पूर्ण रूप से समर्पित हैं, हनुमान स्रोतम बहुत ही प्रभावशाली और शक्तिशाली हैं, जो भी भक्त इस स्रोत का पाठ सच्चे मन से करता हैं तो उस पर हनुमान जी की कृपा बनी रहती हैं, तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में एक जगह लिखा है कि नासै रोग, हरै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल वीरा। यानि जो व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण सच्चे हृदय से करता है उसके जीवन में आने वाली सारी विपदाएँ दूर हो जाती हैं। और भक्त के जीवन में खुशीया और निरोगी दिनचर्या बितता हैं,

हनुमान स्तोत्र क्या हैं ? रचयिता कौन हैं?

हनुमान स्तोत्र में हनुमान जी गुणों का गान किया जाता हैं, इसकी रचना 17 वी शताब्दी में गुरू रामदास ने कि थी, गुरु रामदास एक महतं सतं थे और वे वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु भी थे, गुरु रामदास जी का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था, उन्हों हनुमान स्तोत्र को मराठी भाषा में लिखा हैं, संस्कृत साहित्य में स्तोत्र किसी भी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गए काव्य को कहा जाता हैं, ऐसा माना जाता हैं कि समथ् गुरु रामदास जी हनुमान जी के परम भक्त थे और उन्हों इनकी भक्ति में ही मारुति स्तोत्र की रचना की हैं, जो बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली है,

समथ् गुरु रामदास ने स्तोत्र के पहले 13 श्लोक में हनुमान जी का वर्णन किया हैं, और आखरी के चार श्लोक में हनुमान जी के चरणश्रुति हैं। इस स्तोत्र के प्रति कहा जाता हैं कि जो लोग मारुति स्तोत्रम का पाठ करते हैं, उनकी सभी परेशानियां, मुश्किलें और चिंताएं श्री हनुमान के आशीर्वाद से सब खत्म हो जाती हैं। और वे अपने सभी दुश्मनों और सभी बुरी चीजों से छुटकारा पा जाते हैं । शास्त्रो में कहा जाता है कि इस स्तोत्रम में 1100 बार पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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|| मारुति स्तोत्र ||

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।

|| इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ||

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संकटमोचन हनुमान अष्टक मराठी | sankat mochan hanuman ashtak in marathi

मारुती स्तोत्र – विकिस्रोत

मारुती स्तोत्रम्

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।
प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।
भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।
ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।

मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय

चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

हन हन हुं फट् स्वाहा॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥

|| इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ||

हनुमान स्तोत्र पाठ के लाभ क्या क्या हैं?

1. हनुमान स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को आशीर्वाद देते हैं।

2. हनुमान स्तोत्र के पाठ से भक्त के जीवन में सभी तरह की शुख शांति बनी रहती है।

3. हनुमान स्तोत्र के पाठ से भक्त के ह्रदय से भय का बिल्कुल खत्म हो जाता हैं।

4. हनुमान स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों को दूर कर देते हैं।

5. हनुमान स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन-धान्य की बृद्धि होती है।

6. हनुमान स्तोत्रम् के पाठ से भक्त के चारों ओर स्थित सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

7. हनुमान स्तोत्र के पाठ से भक्त के चारों तरफ़ सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।

8. हनुमान स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्त के सभी रोग और कष्टों का निवारण करतें हैं।

9. हनुमान स्तोत्र के पाठ से भक्त के शारीरिक और मानसिक शक्ति में बृद्धि होती है।

हनुमान स्तोत्र की जप विधि

1. मारुति स्तोत्र का पाठ सुबह के समय या फिर शाम के समय करना चाहिए।

2. इसके पाठ के लिए सबसे पहले स्नान कर स्वयं को शुद्ध कर लेना चाहिए।

3. इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा के मंदिर या घर में हो तो सामने आसन विछाकर बैठें जाए।

4. हनुमान जी की विधिवत पूजा करना चाहिए।

5. उसके पश्चात पाठ प्रारंभ करें।

6. फल प्राप्ति के लिए पाठ को 1100 बार पढ़ें।

7. पाठ करते समय मन में हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए।

8. पाठ एक स्वर में लयबद्ध तरीके से करना चाहिए।

9. अधिक ऊँची आवाज में चिल्लाकर पाठ नही करना चाहिए।

10. पाठ करने वाले भक्त को मांसाहार का सेवन कभी नहीं करना चाहिए।

11. इसके अलावा उसे शराब, सिगरेट, पान-मसाला या अन्य मादक पदार्थ का सेवन से भी दूर रहना चाहिए।

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